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“फांसी से बचाने की याचिका पर सुनवाई टली – निमिषा प्रिया केस अपडेट”

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“फांसी से बचाने की याचिका पर सुनवाई टली – निमिषा प्रिया केस अपडेट”

याचिकाकर्ता ने अदालत को सूचित किया है कि फिलहाल फांसी पर रोक लगा दी गई है। आपको बता दें कि याचिकाकर्ता की ओर से वकील ने कहा है कि निमिषा को पहले मृतक तलाल अब्दो मेहदी के परिवार से क्षमा प्राप्त करनी होगी, और उसके बाद ही ब्लड मनी का विषय सामने आएगा। फिलहाल के लिए निमिषा प्रिया मामले में फांसी रोक दी गई है। भारतीय मूल की 38 वर्षीय नर्स, निमिषा प्रिया को फांसी की सजा सुनाई गई थी, लेकिन फिलहाल इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई को 14 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया है।

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शुक्रवार को निमिषा प्रिया मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा है कि वह इस मामले में हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है। मामला यह था कि यमन में एक व्यक्ति की हत्या के आरोप में निमिषा प्रिया को मौत की सजा सुनाई गई थी। यह सजा 16 जुलाई को दी जानी थी, लेकिन भारत सरकार के सक्रिय प्रयासों और केरल के एक मुस्लिम धर्मगुरु की मध्यस्थता के चलते फिलहाल के लिए फांसी पर रोक लगाई गई है। केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली 38 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया को 2017 में अपने यमनी व्यापारी पार्टनर की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था। उसे 2020 में मौत की सजा सुनाई गई थी और 2023 में उसकी अंतिम अपील को खारिज कर दिया गया था। वर्तमान में निमिषा यमन की राजधानी की एक जेल में बंद है।

कैसे बचाएगी भारत सरकार?

भारत सरकार इस मामले में शुक्रवार को सक्रिय दिखाई दी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया है कि भारत ने निमिषा प्रिया के परिवार को कानूनी सहायता प्रदान की है और एक वकील की नियुक्ति की गई है। सरकारी सूत्रों ने बताया है कि इस मामले पर बारीकी से नजर रखी जा रही है। वहां के स्थानीय अधिकारियों और अदालत के साथ बातचीत जारी है। सरकार ने कहा है कि वह इस मामले में हर संभव मदद करने की कोशिश कर रही है।

यमन के कानून के मुताबिक

यमन के कानून के अनुसार, अगर पीड़ित के परिवार द्वारा माफी दे दी जाती है और वे ब्लड मनी स्वीकार कर लेते हैं, तो सजा रद्द की जा सकती है या उसमें कमी की जा सकती है। निमिषा प्रिया के लिए यह रास्ता अभी भी खुला हुआ है, लेकिन इसके लिए कानूनी और कूटनीतिक स्तर पर भारी मशक्कत की आवश्यकता है।

क्या है ब्लड मनी का कानून?

कई इस्लामी देशों में ब्लड मनी से संबंधित कानून सरिया कानून के तहत लागू होते हैं।
सरिया कानून में बदले की भावना को ‘क़िसास’ सिद्धांत के रूप में स्वीकार किया गया है, जिसके अंतर्गत पीड़ित के परिवार को अपराधी के लिए सजा के बदले मौत की मांग करने का अधिकार होता है। वहीं, सरिया कानून के तहत पीड़ित के परिजन ‘दियाह’ यानी मुआवजे की मांग भी कर सकते हैं। इसी ‘दियाह’ को आम भाषा में ब्लड मनी कहा जाता है।हालांकि इसके लिए पीड़ित परिवार की अनुमति (इजाज़त) आवश्यक होती है। जब पीड़ित का परिवार ‘क़िसास’ के अपने अधिकार को छोड़ देता है और मुआवजे (ब्लड मनी) के लिए सहमत हो जाता है, तभी सजा को रोका या कम किया जा सकता है।

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