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पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती: पश्चिम बंगाल में शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ, हाई कोर्ट ने SSC के फैसलों को दी मंजूरी

पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती: शिक्षकों के लिए रास्ता हुआ साफ, हाई कोर्ट ने आखिरकार एसएससी के फैसलों को स्वीकार कर लिया।
पश्चिम बंगाल के शिक्षकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। एक बार फिर से नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने बुधवार, 16 जुलाई को, पश्चिम बंगाल के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों की चयन प्रक्रिया को अनुमति दे दी है।अब सवाल है — याचिकाकर्ताओं का क्या कहना है?

क्या कहना था याचिकाकर्ताओं (Petitioners) का पक्ष?

आपको बता दें कि याचिकाकर्ता अनिंद्य मित्रा और विकास रंजन भट्टाचार्य जी ने आरोप लगाया था कि एसएससी (SSC) ने जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मानदंडों को बदल दिया। उनका तर्क था कि सुप्रीम कोर्ट ने कहीं भी यह नहीं कहा था कि एसएससी को नई पात्रता (eligibility) तय करने की स्वतंत्रता दी गई है।कहा जा रहा था कि जिस अधिसूचना को चुनौती दी गई थी, उसमें भर्ती प्रक्रिया की कई प्रमुख रूपरेखाएं बदल दी गई थीं।गौरतलब है कि करीब 26,000 नौकरियों को रद्द किए जाने के बाद एसएससी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 2016 में पुनः भर्ती परीक्षा के लिए नए नियम लागू किए थे। इन नए नियमों के अनुसार:

इतना ही नहीं, यह भी स्पष्ट किया गया कि केवल वही अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं जिनकी आयु 1 जनवरी 2025 तक 40 वर्ष से अधिक नहीं होगी। आखिरकार, बुधवार 16 जुलाई को हाई कोर्ट ने एसएससी के संशोधित फैसलों को स्वीकार कर लिया। यह फैसला एसएससी के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है।

पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती | विस्तार से जानते हैं — पूरा क्या था मामला

बुधवार को पश्चिम बंगाल के सरकारी एवं सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों के लिए चयन प्रक्रिया को अनुमति दे दी गई है। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ अभ्यर्थियों द्वारा दायर अपीलों को खारिज कर दिया है। स्कूल सेवा आयोग (SSC) के 2025 के भर्ती नियमों के कुछ प्रावधानों को पूरा न करने के आधार पर इन्हें चुनौती दी गई थी। आपको बता दें कि न्यायाधीश सुमन सेन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष सभी पक्षों की बहस पूरी हो जाने के बाद, सोमवार को चारों अपीलों पर फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। याचिकाकर्ताओं ने यह दलील दी थी कि चयन प्रक्रिया में भाग लेने के लिए पात्र उम्मीदवारों का निर्धारण करने हेतु ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन में न्यूनतम अंक तय करने और अंकों के आवंटन के नियमों में जो बदलाव किए गए हैं, वे 2025 के भर्ती नियमों के कुछ प्रावधानों के खिलाफ हैं। इन्हीं को एकल पीठ के समक्ष चुनौती दी गई थी। खंडपीठ ने इन सभी अपीलों को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही पश्चिम बंगाल सरकार और स्कूल सेवा आयोग को शिक्षकों की चयन प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए हरी झंडी मिल गई है।इस निर्णय के बाद राज्य के सरकारी वकील कल्याण बनर्जी ने इसे “बहुत बड़ी जीत” बताया। उन्होंने कहा कि अदालत ने राज्य सरकार के अधिकारों को मान्यता दी है। उन्होंने आगे यह भी स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहीं भी यह निर्देश नहीं दिया था कि नियुक्ति प्रक्रिया 2016 के नियमों के तहत ही चलाई जाए।

पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती: राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने कहा कि 26,000 नौकरियों को रद्द करने का निर्णय 2019 में लागू हुए नियुक्ति नियमों के बाद आया था, और उस समय किसी ने इन नियमों को चुनौती नहीं दी थी। ऐसे में अब कोई भी SSC भर्ती नियमों को चुनौती नहीं दे सकता। बनर्जी ने यह भी जोड़ा कि किसी भी भर्ती प्रक्रिया में पात्रता तय करने का अधिकार केवल संबंधित आयोग को होता है। शिक्षक एक ऐसा पद है, जिसमें अनुभव की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है — और ऐसे में अनुभव को प्राथमिकता देना पूरी तरह स्वाभाविक है। हाई कोर्ट में यह भी बताया गया कि पूर्व की बेंच ने केवल नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया था, यह नहीं कहा गया था कि प्रक्रिया 2016 के नियमों के अंतर्गत ही की जाए। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि आयु सीमा में छूट 2016 के नियमों के अनुसार नहीं दी जा सकती थी, इसलिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप भर्ती नियमों में संशोधन किया गया।

 

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